Yug Purush

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समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग -3)

"सॉरी मिस रिया, अब हम आपका और समर्थन नहीं कर सकते..." यह कहकर मीटिंग में मौजूद सभी बोर्ड मेंबर एक-एक करके वहां से बाहर जाने लगे. और थोड़ी देर बाद वहां केवल सिर्फ दो लोग ही बचे थे.. एक थी रिया और दूसरी उसकी सेक्रेटरी....

"मैम, आप ठीक तो हैं.. ना "

इसका जवाब मे रिया ने सामने गिलास में रखा हुआ पानी उठाया और पूरा गिलास एक सांस मे खाली कर दिया

"तुम नहीं जानते कि यह लोग कितनी बड़ी बेवकूफी कर रहे हैं.. इन्हे नहीं मालूम कि उस डेविल्स ट्रायंगल के बीच कितना खजाना समंदर के सीने में दफन है.. लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी. अपनी सारी जायदाद गिरवी रख कर. एक बार फिर कोशिश करूंगी... और इस बार मैं खुद भी जहाज के साथ जाऊंगी..  अब  या तो आर या पार"

"लेकिन मैम, कप्तान आदित्य का कुछ पता नहीं चला... बिना कप्तान के आप.. और कौन है जो डेविस ट्रायंगल में जाने के लिए तैयार होगा..."

" एक मर्चेंट नेवी का ऑफिसर है मेरे पहचान में... इस बार वह हमारे साथ होगा और हां क्या नाम है उस लफंगे का... जिसके बारे में कुछ लोग बता रहे थे.. कि वो अपने आप को बहुत बड़ा शिकारी बताता है..."

" किसकी बात कर रही हैं आप ?"

"अरे उस पागल का.. क्या नाम है उसका ? शायद रॉन.. नाम है उसका.. उसके बारे में मालूम करो.. कहां है वो, इस वक़्त ."

"अच्छा वह.. मैम आप उस पागल को क्यों बुला रही हैं.... वो जिस नजर से मुझे देख रहा था, पिछली बार मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था..."

" तुम्हें मालूम नहीं होगा पर एक बार उसने मेरी जान बचाई थी.. उसका अंदाज ही अलग है. वो बात अलग है कि मुझे उस से बेइंतहा नफरत है"

"ओके मैम"


कोलकाता के समुद्री इलाके से सटे एक छोटे से शराब खाने में शोर शराबा चल रहा था. वहां की हालत देखकर ही अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा यहाँ  किस तरह के लोग आते होंगे... कोई किसी से लड़ रहा था, तो कोई शराब के नशे में अपने वीरता के किस्से सुना रहा था.. तो कोई शराब के नशे में पागल हुआ, अपने कपड़े फाड़  रहा था.. तो कोई दूसरों के.. पर कोई कुछ ना कुछ जरूर कर रहा था. खाली कोई भी नहीं बैठा  था या खड़ा था या फिर लेटा था.... तभी वहां बड़े अजीबोगरीब कपड़े पहने हुए शराब के नशे में धुत, डगमगाते हुए एक शख्स अंदर आया


"अबे ओए, कहां घुसे जा रहा है अंदर.... चल एंट्री करा.. " काउंटर के पास जो बैठा हुआ था, उसने उस शख्स को रोका...

"एंट्री जरूरी है ? क्या है कि मैं बहुत फेमस हूं  और यदि किसी को पता चल गया कि मैं ऐसी जगह पर आता हूं तो..., "

" फेमस और तू.. हा हा हा... मजाक मत कर.. तो तुम एक कंबल जैसे कपड़े पहना है.. कई दिनों से धुले भी  नहीं लगते और तेरे शरीर से ही मरे हुए जानवर जैसी बदबू आ रही है.. तुझे  देखकर लगता है कि तू कई महीनों से नहाया भी नहीं है.. और तु फेमस है..? फूटी कौड़ी तक नहीं होगी तेरे जेब मे "

" कई महीनों से ? मुझे नहाए हुए पूरे 1 साल से भी ज्यादा समय हो गया.. कम समय बता कर मेरी बेइज्जती मत करो.."

" अपनी बकवास बंद कर और एंट्री करा.. नाम क्या है ?"

" किसका मेरा..?"

"नहीं अपने बाप का नाम बता..."

" वह तो मुझे नहीं मालूम.."

" अपना नाम बता.. पता नहीं कैसे-कैसे लोग आ जाते हैं"

" मेरा नाम.. रंजू- ओखाड़वाला- नेवरत है..."

" यह कैसा नाम है.. दूसरा नाम नहीं है क्या.."

" दूसरा नाम.. है. द रॉन..  महान समुंदर का शिकारी... "


उसका नाम सुनकर उस काउंटर वाले शख्स के माथे पर सिलवटें आ गई... रॉन तो अपना नाम बता कर  आगे बढ़ गया. पर रॉन के जाने के बाद काउंटर वाले ने अपने जेब से एक कार्ड निकाला और उसमें लिखे गए नंबर को डायल करने लगा..

" हेलो मैम.. आपने जिस नाम वाले को ढूंढने के लिए बोला था वह शायद यहां आ चुका है, अब जल्दी से आ जाइए..."

"वो क्या कर रहा है..? कर तो  कुछ नहीं रहा वो .. बस कोई सस्ती शराब की बोतल को मुंह से लगाकर खड़ा हुआ है.. और उसने जस्ट अभी अभी वो  बोतल किसी एक के सर पर फोड़ दी है... आप जल्दी आ जाईये "
.

उस काउंटर वाले के कॉल करने के कुछ देर के बाद ही एक आलीशान कार उस शराबखाने के बाहर रुकी. कार से रिया निकलकर सीधे शराब खाने के काउंटर पर बैठे हुए शख्स  के पास गई और उससे पूछी

"कहां है वह..."

"वहां है मैडम.. लेकिन मेरा कुछ जुगाड़ पानी.... "पैसों के लिए लार टपकाते हुए वह काउंटर वाला बोला... जिसके बाद रिया ने अपनी सेक्रेटरी को आवाज दी, जो बाहर खड़ी थी

"जी मैम, आपने बुलाया..."

" इन्हें इनकी मेहनत का मेहनताना दे दो..."


इतना बोल कर रिया उस  टेबल की तरफ चल दी जहां रॉन  बैठा हुआ शराब की बोतल खाली कर रहा था.. रिया कुछ देर उसके पास खड़ी, रॉन को देखती रही.. और फिर कुछ देर बाद बोली..

"कैसे हो मिस्टर रॉन ..."

"कौन है बे, अब कौन आ गया..."रॉन पीछे मुड़ा और अपने सामने रिया को देख सकपका गया

"रॉन तुम अभी भी  वैसे ही हो.."

"तुम भी तो वैसी ही हो... एक इंच माल भी तुम्हारे शरीर से काम नही हुआ... एकदम टाइट बदन है तुम्हारा अब भी. रिया,... वैसे, आज तुम्हें मेरी याद कैसे आ गई...  आखिरी बार तो बहुत बेइज्जत करके निकलवा दिया था मुझे.... फिर आज मुझसे मिलने यहाँ तक आ गई.... कुछ हुआ है क्या...??"

"Yuck.. अपना मुँह बंद ही  रखो, बहुत ही वाहियात बदबू आ रही है..."

"वह तो आएगी ही.. अब बोलो काम क्या है..."

" डेविल्स ट्रायंगल का नाम सुना है...?"

"ट्रायएंगल.... यानी की त्रिभुज... सुना है ना कक्षा 7 में.. टीचर ने पढ़ाया था. त्रिभुज के प्रकार में की एक समकोण त्रिभुज होता है.. एक अधिककोण त्रिभुज... परिभाषा सुनाऊ...?? ."

" मैं समुंदर पर डेविल्स ट्रायंगल की बात कर रही हूं... मुझे वहां जाना है, एक्चुअली उसे पार करना है.."

" वहां... वहां ऐसा क्या है"

"तुम बस जवाब दो.. तुम साथ चलोगे या नहीं.. वरना मैं कोई दूसरा ढूंढू.."

"देखो ऐसा है... तुम, जो कि मुझसे इतनी नफरत करती हो.. फिर भी मेरे पास आई हो.. तो इसका मतलब ये है कि तुम्हारा काम मुझसे ही होगा... वरना तुम, अपने सपने में भी मेरे पास नहीं आती... तो पहले बताओ डेविल्स ट्रायंगल में है क्या...?"

"वह तुम्हें वक्त आने पर मालूम चल जाएगा... बोलो साथ में चलोगे या नहीं.. पर बोलने से पहले, सोच लो.. पूरा जहाज शराब से भरा होगा..."

" मुझे शराब का लालच नहीं है.. पर जब कि तुम यहां आई हो..तो  तुम्हारा दिल रखने के लिए, मैं तुम्हारे साथ चलने के लिए तैयार हूं... लेकिन एक बात है जो तुम्हें याद रखनी पड़ेगी.."

" वह क्या.."

" अटलांटिक महासागर से पश्चिमी दिशा में यदि जब कभी भी समंदर में जाओ तो यह जान लेना कि समुंदर की आंखें क्या देख रही हैं"

"क्या बोला, मुझे कुछ समझ नहीं आया"

रॉन अपनी जगह से खड़ा हुआ और काउंटर वाले की तरफ देख कर बोला..

" ओए टकलू... मेरा बिल यह मैडम देगी.. समझा.. और यहां मौजूद बाकी लोगों का भी.."

"तुमने अभी क्या कहा कि समुद्र की आंखें देखती हैं वगैरा-वगैरा..."

" अब यदि मेरी बातें हर किसी को समझ आने लगी..तो  हर कोई समुंदर के शिकारी नहीं बन जाएगा...??" रॉन मुस्कुराया
.


" जल्दी-जल्दी जहाज में बैठो, कुछ ही देर में हम सब यहां से निकलने वाले हैं.. "नीचे खड़ा कप्तान नायर.. सभी को जहाज में जाने के लिए बोल रहा था.  जहाज में रॉन और रिया पहले से ही आ चुके थे.. दोनों जहाज में खड़े होकर नीचे खड़े कप्तान नायर को देख रहे थे...

"देखा रॉन .. नायर बाकियो की तरह नहीं है... इस बार हम जरूर कामयाब होंगे.."

जिसे सुनकर रॉन हंसने लगा..

" तुम हंस क्यों रहे हो.."

"क्योंकि तुम हर बार यही बोलती हो.. की... इस बार हम  जरूर कामयाब होंगे. मेरे ख्याल  से तुम्हें उल्टा  बोलने की कोशिश करना चाहिए.. कि इस बार हम जरूर नाकामयाब होंगे...  तब शायद कामयाब हो जाओ .. सबसे बड़ी पनौती तुम ही हो रिया.."

"पर इस बार मैं कंफर्म हु...."

"मै हुँ इसलिए..?"

"नही.... बल्कि मै हुँ, इसलिए...."

"रिया तुमने अभी तक मुझे यह नहीं बताया कि आखिर उस डेविल्स ट्रायंगल में रखा क्या है...  हम वहां जा क्यों रहे हैं.."

" वक्त आने पर पता चल जाएगा... वैसे तुम वहां कभी गए हो... मैं भी कैसे सवाल पूछ रही हूं... वहा जो भी गया आज तक वह तो कभी लौट कर ही नहीं आया"

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7 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 07:59 AM

Excellent

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Farhat

27-Nov-2021 12:43 AM

Good

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Khushi jha

27-Oct-2021 06:33 AM

बढिया

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